मनुष्य के जीवन में संतान एक अहम् भूमिका निभाती है, जिससे उन्हें संतोष, समाधान और खुशी की अनुभूति होती है। लेकिन कुछ समय के बाद यह सपना पूरा नहीं हो पाता है, क्योंकि बहुत से लोगों को इन्फर्टिलिटी जैसी समस्याएं होती हैं। जिससे उन्हें संतान प्राप्त करने में दिक्कतें आती हैं।
इस समस्या को दूर करने के लिए अधिकतर लोग आयुर्वेद का सहारा लेते हैं। आयुर्वेद में इन्फर्टिलिटी का इलाज कई प्रकार से किया जाता है, जो शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के इलाजों को सम्मिलित करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, इन्फर्टिलिटी का कारण पुरुषों और महिलाओं दोनों में से कुछ ऐसे होते हैं, जैसे कि स्वस्थ शुक्राणुओं की कमी, रक्त में अल्पता या अधिकता, अशुद्ध आहार, गलत जीवन शैली, मानसिक तनाव आदि।
आयुर्वेद के अनुसार, वंशानुगत अथवा स्त्री अंग विकारों के कारण कुछ महिलाओं को गर्भाधान करने में समस्या होती है। ये समस्याएं एक दम से होती नहीं हैं। इसके लिए व्यक्ति को धीरे-धीरे अपनी जीवनशैली में सुधार करने की जरूरत होती है। आयुर्वेद इस समस्या का समाधान प्रदान करने के लिए कुछ चिकित्सा तकनीकों का उपयोग करता है। यह चिकित्सा तकनीकें स्त्री और पुरुष दोनों के लिए उपलब्ध होती हैं। यहां हम महिलाओं के लिए वंशानुगत अथवा स्त्री अंग विकारों से जुड़ी बातें जानेंगे।
आयुर्वेद के अनुसार, इस समस्या का सबसे बड़ा कारण खान-पान की विभिन्न विधियों में अनियमितता होती है। आयुर्वेद के अनुसार, प्रकृति आपके शरीर को बहुत हद तक संतुलित रखती है और यदि आप अपनी जीवनशैली में विशेष रूप से खान-पान की विभिन्न विधियों में अनियमितता लाते हैं तो आपकी प्रकृति को संतुलित रखना मुश्किल हो जाता है।
पीसीओएस (PCOS) एक समस्या है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में अनुपचय होता है और वे अपने बच्चे को धातु बनाने के लिए उन्हें असमर्थ हो जाती हैं। यह समस्या बढ़ती उम्र की महिलाओं में अधिक होती है और इसका इलाज न करने से इससे जुड़ी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इस समस्या का आयुर्वेदिक इलाज उपास्य आयुर्वेदा में उपलब्ध है।
उपास्य आयुर्वेदा में पीसीओएस के लिए विशेष आयुर्वेदिक चिकित्सा उपलब्ध है। इस चिकित्सा में जड़ी-बूटियों और घरेलू उपचार का उपयोग किया जाता है जो इस समस्या को ठीक करने में मदद करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, पीसीओएस में शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच अंतरंग तनाव के कारण अनुपचय होता है। यह तनाव अनुपचय को बढ़ाने वाली अन्य समस्याओं को भी उत्पन्न कर सकता है जो इस समस्या का कारण बनती हैं। इसलिए, पीसीओएस के इलाज में तनाव को नियंत्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
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